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Ameen Sayani Died: भारतीय रेडियो के एक अद्वितीय चेहरे का विदा, 91 साल की उम्र में”

“अमीन सयानी, एक अत्यंत प्रसिद्ध रेडियो स्टार, जिन्हें बड़े फिल्म स्टार भी सम्मान देते थे। उनका ‘बिनाका गीत माला’ कार्यक्रम एक युग में आवाज के सरदार के रूप में प्रसिद्ध था, जिसने उन्हें नाम और काम में बेमिसाल शोहरत प्राप्त कराई।”

“नमस्कार मित्रों, यहाँ आपका अपना दिलकश अमीन सयानी। लेकिन अब यह संवाद फिर कभी नहीं होगा। उनकी आवाज़ और शैली ने लम्बे समय तक विश्वभर के लोगों के दिलों में जगह बनाई रखी, लेकिन अब उनका सफर समाप्त हो गया है। 91 वर्षीय जीवन की यात्रा समाप्त हो चुकी है। उनके पुत्र रजिल सयानी ने उनकी निधन की खबर दी है, जिससे उनके सभी सुनने वालों के दिल भरे हैं।

When was Ameen Sayani born?

अमीन सयानी 21 दिसंबर 1932 को पैदा हुए थे और 20 फरवरी 2024 को उनका निधन हो गया। वे भारतीय रेडियो के एक लोकप्रिय announcer थे। जब उन्होंने अपना “बिनाका गीतमाला” प्रोग्राम रेडियो सिलोन पर प्रस्तुत किया, तो उन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के हर कोने में मान और प्रसिद्धि मिली। उनकी अनूठी संवादशैली को लोग आज भी याद करते हैं, जैसे “बहनों और भाइयों”। उनके नामकरण में मेलोडियस स्पर्श के साथ जनसमूह को संबोधित करना आज भी यादगार है। उन्होंने 1951 से लेकर अब तक अधिकतम 54,000 रेडियो कार्यक्रमों और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स का उत्पादन और संचालन किया। उनके निधन का समाचार सुनकर सभी उन्हें याद कर रहे हैं। वह एक अभिनेता और लेखक हैं, जिन्हें ‘अंदाज़ अपना अपना’ (1994) और ‘लगान (2001) के लिए जाना जाता है|

Ameen Sayani’s Career

अमीन सयानी को ऑल इंडिया रेडियो, मुंबई, में उनके भाई हामिद सयानी ने परिचय दिलाया था। अमीन ने वहां दस साल तक अंग्रेजी कार्यक्रमों में भाग लिया।

बाद में, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो को भारत में प्रसिद्धि दिलाने में मदद की। सयानी ने भूत बंगला, तीन देवियां, बॉक्सर, और क़तल जैसी कई फिल्मों में भी भाग लिया। उन्होंने इन सभी फिल्मों में किसी घटना के एक घोषक के रूप में अपनी भूमिका निभाई।

सयानी ने अपनी मां कुलसुम सयानी की सहायता की, जो महात्मा गांधी के निर्देशों के अनुसार नव-शिक्षितों के लिए हिन्दी में द्वि-साप्ताहिक पत्रिका का संपादन, प्रकाशन और मुद्रण किया करती थीं। यह द्वि-साप्ताहिक, राहबेर (1940 से 1960), देवनागरी (हिंदी), उर्दू और गुजराती लिपियों में समानांतर प्रकाशित होती थी – लेकिन गांधी द्वारा प्रोत्साहित सरल “हिन्दुस्तानी” भाषा में सभी।

इस सरल संचार में अधिक निपुणता का निर्माण होने ने उन्हें उनके व्यावसायिक प्रसार के लंबे करियर में मदद की, और 2007 में उन्हें नई दिल्ली के प्रतिष्ठित हिंदी भवन द्वारा “हिंदी रत्न पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।

Ameen Sayani’s successful international radio shows

  • “MINI INSERTIONS of FILMSTAR INTERVIEWS” : Over the British Broadcasting Corporation‘s Ethnic Network in the UK: 35 installments.
  • “MUSIC FOR THE MILLIONS”: For the BBC’s World Service Radio: 6 episodes.
  • “VEETEE KA HUNGAMA”: Over Sunrise Radio, London: 4½ years.
  • “GEETMALA KI YAADEN”: Over Radio Ummul Quwain, UAE: 4 years.
  • “YE BHI CHANGA WO BHI KHOOB” : Over Radio Asia, UAE: 8 months.
  • “HANGAMAY”: Over ethnic radio stations in Toronto, Washington, HoustonLos AngelesSan Francisco, and Boston: 2½ years.
  • “SANGEET PAHELI” : Over Radio Truro, Eswatini: 1 year

Ameen Sayani Died

केवल 13 वर्ष की उम्र में लिखना शुरू कर दिया था

अमीन सयानी ने अपने लेखन की यात्रा को सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में शुरू किया था। उनके आवाज़ के प्रेमी आज भी उनके ‘नमस्कार बहनों और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं’ आवाज़ को सुनकर अच्छा महसूस करते हैं। उनका रेडियो कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ बहुत प्रसिद्ध था। उनका जन्म 21 दिसंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था। बचपन से ही लेखन के शौकीन थे और सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां की पत्रिका ‘रहबर’ के लिए लेखन करना शुरू किया था। इसी समय में उन्हें अंग्रेजी भाषा में अद्वितीय प्रस्तुति देने की कला भी प्राप्त हो गई थी और उन्होंने आकाशवाणी मुंबई की अंग्रेजी सेवा में बच्चों के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था।

गुजराती लहजा होने के कारण नहीं हुआ चयन

जब सयानी ने ‘हिंदुस्तानी’ में प्रस्तुति देने के लिए ऑडिशन दिया, तो उनकी आवाज में हल्का गुजराती लहजा होने के कारण उनका चयन नहीं हुआ। बाद में, जब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी वी केसकर ने आकाशवाणी से हिंदी गानों पर प्रतिबंध लगा दिया, तो रेडियो सीलोन की लोकप्रियता बढ़ी। सयानी को दिसंबर 1952 में रेडियो सीलोन पर ‘बिनाका गीतमाला’ पेश करने का मौका मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस शो ने 1952 से 1994 तक 42 वर्षों तक भारी लोकप्रियता हासिल की।

बिनाका गीत माला से विख्यात

अमीन सयानी देश के पहले रेडियो स्टार माने जाते हैं, जिनकी आवाज को बड़े-बड़े फिल्म स्टार भी सराहते थे। उनका ‘बिनाका गीत माला’ कार्यक्रम एक ऐसा जमाना था, जब उन्होंने अपनी आवाज़ के जादू से सबका दिल जीत लिया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से सयानी की सेहत सही नहीं रही थी।

Ameen Sayani’s Personal life and death

अमीन सयानी का जन्म 21 दिसंबर 1932 को मुंबई में एक गुजराती भाषा बोलने वाले मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम कुल्सूम और जान मोहम्मद सयानी था। उनकी मां एक स्वतंत्रता सेनानी थीं और महात्मा गांधी के करीब थीं, इसलिए सयानी ने खुद को एक गांधीवादी कहा। उन्होंने कश्मीरी पंडित रामा मट्टू से विवाह किया।

अमीन सयानी का 20 फरवरी 2024 को एक Heart Attack की वजह से 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

सदमे में परिवार

अमीन सयानी के निधन से उनके बेटे रजिल सायानी काफी दुखी हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार रात को सयानी को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें तुरंत एचएन रिलायंस अस्पताल ले जाया गया। शाम करीब सात बजे उनका निधन हो गया। रजिल ने कहा कि उनके पिता का अंतिम संस्कार कल होगा और परिवार जल्द ही एक बयान जारी करेगा।

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